18-01-09  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

‘‘40 वर्ष की अव्यक्त पालना का रिटर्न - 4 बातें - शुभचिंतक बनो शुभचिंतन करो शुभ वृत्ति से शुभ वायुमण्डल बनाओ तथा (0) जीरो और हीरो की स्मृति में रहो’’

आज बापदादा चारों ओर के अपने सेवा के साथी बच्चों से मिलने आये हैं। आदि सेवा के साथी और साथ में और भी सेवा के साथी बन बहुत अच्छी सेवा की वृद्धि कर रहे हैं तो बापदादा अपने साथियों को देख खुश हो रहे हैं। और दिल में गीत गा रहे हैं वाह! मेरे विश्व परिवर्तन सेवा के साथी वाह! आज अमृतवेले से चारों ओर स्नेह की मालायें बापदादा को डाल रहे थे। तीन प्रकार की मालायें थी एक थी बाप समान बनने के उमंग-उत्साह की दूसरी थी अति बिछुडी हुई बंधन वाली बांधेली गोपिकाओं की उन्हों की मालायें तो थी लेकिन चमकते हुए अति अमूल्य आंसुओं की माला भी थी। एक-एक आंसू मोती समान चमक रहे थे और तीसरी माला कुछ-कुछ बच्चों की उल्हनों की थी।

आज अमृतवेले से लेके सभी में विशेष स्नेह समाया हुआ दिखाई दे रहा था। बापदादा ने विराट रूप जैसे बांहें पसार सब बच्चों को बांहों में समा लिया। वैसे आज का दिन स्नेह के साथ सर्व पावर्स की विल देने का भी था। एक बच्ची को हाथ में हाथ मिलाके विल पावर्स की विल सभी बच्चों को शक्ति सेना और पाण्डव, कई बच्चे पाण्डव भी और शक्तियां भी, बापदादा ने देखा, गुप्त रूप से अन्तर्मुखी बन पुरूषार्थ में तीव्र गति से चल रहे हैं। बाहर से दिखाई नहीं देते हैं लेकिन पुरूषार्थी अच्छे हैं। बापदादा ने देखा आज का विशेष रूप स्नेह का सबजेक्ट सभी के चेहरे चमका रहे थे। ज्ञानी तू आत्मा बच्चे तो हैं लेकिन स्नेह की सबजेक्ट आवश्यक है क्योंकि स्नेही मेहनत कम और मुहब्बत के अनुभव में सहज रहते हैं। स्नेह की शक्ति कैसी भी पहाड़ जैसी समस्या हो, पहाड़ को भी रूई बना देते हैं। पहाड़ को भी पानी जैसा हल्का बना देते हैं। स्नेह एक छत्रछाया है। छत्रछाया के कारण वह सदा सेफ रहता है। सहज होता है। स्नेह से परमात्मा वा भगवान को भी अपना दोस्त बना देते हैं। जो यादगार है खुदा दोस्त का। खुदा को दोस्त बनाके कोई भी समस्या दोस्ती के नाते से सहज कर देते हैं। बाप को अपना साथी बना देते हैं। ज्ञान बीज है, लेकिन प्रेम का पानी बीज में फल लगा देता है, प्राप्ति के फल। तो ऐसे बाप के स्नेही बच्चे बाप को याद करना मेहनत नहीं समझते हैं लेकिन भूलना मुश्किल समझते हैं। स्नेही कभी स्नेह को भूल नहीं सकता। मेरा बाबा कहा, दिल के स्नेह से और सर्व खज़ानों की चाबी मिल जाती है। तो दोनों बापदादा ऐसे स्नेही, जिनके आगे बापदादा भी हजूर हाजिर हो जाता है। याद तो सब करते हैं लेकिन कोई थोड़ी थोड़ी मेहनत से करते हैं और कोई सदा स्नेह के सागर में लवलीन रहते हैं। दुनिया वाले कहते हैं आत्मा परमात्मा में लीन हो जाती लेकिन आत्मा परमात्मा के प्यार में लव लीन हो जाती है। लीन नहीं होती लवलीन होती।

तो आज का दिन मुहब्बत में लवलीन का है। मेहनत समाप्त हो मुहब्बत के रूप में बदल जाती है। तो बापदादा ने सभी बच्चों की रिजल्ट भी देखी, होमवर्क मैजारिटी ने किया है। बाप समान बनने का लक्ष्य बार-बार रिवाइज भी किया, रियलाइज़ भी किया। 75 परसेन्ट बच्चों की रिजल्ट अच्छी रही। और यह बाप समान बनना ही है, कुछ भी तूफान आये, है ही कलियुग का समाप्ति का समय, तो तूफान तो आयेंगे, परिवर्तन का समय है ना, लेकिन आप बच्चों के लिए तूफान क्या है!तूफान, तूफान नहीं लेकिन तोहफा है क्योंकि बापदादा के वरदान का हाथ सभी पुरूषार्थी बच्चों के माथे पर है। जिन्होंने दृढ़ संकल्प अर्थात् दृढ़ता की चाबी कार्य में लगाई उन्हों की अभी की रिजल्ट प्रमाण सफलता भी प्राप्त की है लेकिन सदाकाल के लिए तूफान को तोहफा बनाए, समस्या को समाधान रूप दे आगे बढ़ते चलो। तो बापदादा अभी की रिजल्ट में खुश है। जो योग तपस्या की है उसमें लक्ष्य दृढ़ रखा है, बनना ही है।

40 वर्ष अव्यक्त पालना के पूरे हुए हैं। तो 40 वर्ष में पहले क्या आता - बिन्दू, जीरो। तो जीरो याद दिलाता कि मैं हीरो, सच्चा हीरो, महान हीरो हूँ और हीरो पार्टधारी बन हर कार्य हीरो समान करना है। तो जीरो, हीरो यह सदा याद रहे और बाकी जो चार हैं, उसमें चार बातें नेचुरल जीवन में करनी है, दृढ़ता पूर्वक करनी हैं, करेंगे? तैयार हैं? कुछ भी पेपर आवे लेकिन चार बातें अपने जीवन में करनी ही है। पक्का? पक्का? पक्का? पीछे वाले, पक्के हैं ना! कच्चे को माया खा जाती है इसीलिए पक्का रहना। एक बात - सदा शुभचिंतक, कोई की कमज़ोरी देख वा सुन रहमदिल बन शुभ चिंतक बन उनको सहयोग देना ही है। कमज़ोरी को नहीं देखना है लेकिन सहयोग देना ही है। इसको कहते हैं शुभ चिंतक। पक्का रहेगा ना! सहारे दाता, रहमदिल बन सहयोग दो। उससे किनारा या घृणा नहीं करना, क्षमा करना। परवश के ऊपर कभी घृणा नहीं की जाती है। सहारा दिया जाता है। तो शुभ चिंतक और दूसरा है शुभ चिंतन। आजकल बापदादा देखते हैं - मैजारिटी बच्चों में कभी-कभी व्यर्थ संकल्प बहुत चलता है, इसमें अपनी जमा हुई शक्तियां व्यर्थ चली जाती हैं, इसलिए शुभ चिंतन की, स्वमान का कोई न कोई अपना टाइटिल मन को होमवर्क दे दो, मन का टाइमटेबल बनाओ, कर्म का तो टाइमटेबल बनाते हो लेकिन मन का टाइमटेबल बनाओ। स्वमान, अमृतवेले मिलन मनाने के बाद मन को दे दो लेकिन जैसे सुनाया है कि 12-13 बारी सभी को टाइम मिलता है, उसमें रियलाइज भी करो, रिवाइज भी करो तो मन बिजी रहने से व्यर्थ संकल्प में समय नहीं जायेगा, मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, हर समय संगमयुग जो मौज का युग है, उसी मौज में रहेंगे। तो दूसरा सुनाया - शुभचिंतन। चेक करो और चेंज करो। तीसरा है - शुभ वृत्ति। अशुभ वृत्ति वायुमण्डल भी अशुद्ध फैलाती है इसीलिए शुभ वृत्ति। और चौथा है हर एक को यह जिम्मेवारी लेनी है कि मुझे, मेरा काम है खास, दूसरे को नहीं देखना है, मेरा काम है शुभ वायुमण्डल बनाना। जैसे कभी भी वायुमण्डल में बदबू होती है तो क्या करते हो? खुशबू फैलाते हो ना! बदबू सहन नहीं होती, कोई न कोई खुशबू का साधन अपनाते हो, ऐसे साधारण वायुमण्डल वा अशुभ वायुमण्डल बदलना ही है। चाहे छोटा है, चाहे नया है, लेकिन सबकी जिम्मेवारी है। दृढ़ संकल्प करना है मुझे शुभ वायुमण्डल बनाना ही है। यह प्रतिज्ञा प्रत्यक्षता करेगी। प्रतिज्ञा करते हो, बापदादा खुश होता है लेकिन प्रतिज्ञा में कभी-कभी दृढ़ता नहीं होती है इसीलिए सफलता जो चाहते हो, जितनी चाहते हो उतनी नहीं होती। सारे विश्व का, प्रकृति का, आत्माओं का, आत्माओं में ब्राह्मण आत्मायें भी आ जाती हैं, हर एक अपने सेवास्थान का ऐसा वायुमण्डल दृढ़ता से बनाओ, कुछ त्याग करना पड़े तो कर लो, त्याग करे तो मैं करूं, नहीं। सिस्टम ठीक हो तो... तो तो नहीं करो। मुझे तो करना ही है। विश्व परिवर्तक स्वमान है ना! सभी विश्व परिवर्तक हो ना! हाथ उठाओ। अच्छा विश्व परिवर्तक। बहुत अच्छा। तो पहले बापदादा देखने चाहते हैं, है भी होगा भी लेकिन इस वर्ष में बापदादा छोटे या बड़े सेवाकेन्द्र का चक्कर लगावे तो वायुमण्डल कैसा हो? जैसे आज का दिन स्नेह और शक्ति का है, ऐसे गांव-गांव का सेन्टर, बड़ा सेन्टर का वायुमण्डल चैतन्य मन्दिर हो। निगेटिव को पॉजिटिव बनाना इसमें पहले मैं। पहले आप नहीं करना, पहले मैं, क्योंकि बापदादा और एडवांस पार्टी और आजकल तो प्रकृति भी इन्तजार कर रही है। इन्तजाम करने वाले आप हो, आपको इन्तजार नहीं करना है, इन्तजाम करना है।

आज चारों ओर भय फैला हुआ है, सबके दिल में एक ही संकल्प है मैजारिटी दुनिया वालों के, कल क्या होगा!आपको पता है कल क्या होगा! तो परिवर्तन करने में पहले मैं निमित्त बनूंगा, यह संकल्प कौन करता है? इसमें हाथ उठाओ। करना पड़ेगा। करना पड़ेगा। बदलना पड़ेगा। रक्षक बनना पड़ेगा। कुछ छोड़ना पड़ेगा और प्यार लेना पड़ेगा। मन का हाथ उठाया या यह हाथ उठाया! किसने मन का हाथ उठाया। क्योंकि मन बदला तो विश्व बदला। तो इस वर्ष में क्या स्लोगन होगा? क्या स्लोगन होगा? ‘‘नो प्राबलम’’। विजय का झण्डा दिल में लहरेगा। और सभी खुशी की डांस सदा मन में करेंगे, मन की डांस है खुशी। तो हर समय खुशी की डांस करेंगे। और दाता के बच्चे हो तो जो भी आवे हर एक को कोई न कोई गुण की गिफ्ट दो। तो एक सेकण्ड में वह दृढ़ संकल्प, दाता का संकल्प लिफ्ट बन जायेगा और सेकण्ड में परमधाम, सूक्ष्मवतन, स्थूल मधुबन साकार वतन, जहाँ चाहेंगे वहाँ बिना मेहनत के सेकण्ड में पहुंच जायेंगे। कोई भी सामने आये उसको खाली हाथ नहीं भेजना, कोई न कोई गुण की, चेहरे से, चलन से, मुख से गुण की सौगात के बिना नहीं मिलना।

तो इस वर्ष का हर मास रिजल्ट अपने पास भी रखना और यज्ञ में टीचर द्वारा ओ.के. का कार्ड भेजना, लम्बा पत्र नहीं भेजना, ओ.के. का कार्ड भेजना। कार्ड भी लम्बा नहीं भेजना, जो दुनिया में कार्ड चलता है वह नहीं, टीचर द्वारा जो वरदान का कार्ड मिलता है वह भेजना। गुणों की सौगात, शक्तियों की सौगात कितनी है? लिस्ट गिनती करो तो कितनी बड़ी लिस्ट है। और जितना देंगे उतनी कम नहीं होगी बढ़ती जायेगी। जैसे कहते हैं ना छू मन्त्र, तो यह शिव मन्त्र कभी कोई गुण आपसे कम नहीं होगा, और ही बढ़ेगा क्योंकि कहावत है दे दान छूटे ग्रहण। अच्छा।

इस बारी जो पहले बारी आये हैं वह उठके खड़े हों। अच्छा है - (एम.पी. के राज्यपाल सामने बैठे हैं) इस संगठन में पधारे हो, अच्छा है। बापदादा आप सभी को, आने वालों को यह वरदान दे रहे हैं कि सदा बाप से गुडमॉर्निंग और गुडनाइट जरूर करना। क्योंकि पहले-पहले आंख खुलते ही बाप को देखेंगे तो सारा दिन अच्छा होगा। तो पहले बारी आने वाले बच्चों को बापदादा का पदमगुणा यादप्यार और बधाई हो। अच्छा। आज टर्न किसका है?

सेवा का टर्न इन्दौर ज़ोन का है:- अच्छा निशानी अच्छी रखी है (सबके हाथ में कमल का फूल है) अच्छा। इन्दौर कहेंगे ना इसको इन्दौर का अर्थ क्या है? इन डोर अर्थात् अन्तर्मुखी। यह जो निशानी रखी है इस निशानी अनुसार सदा कमल पुष्प समान न्यारे और बाप के प्यारे। अन्तर्मुखी सदा सुखी। अन्तर्मुखी सदा बाप के दिलतख्तनशीन हैं। अन्तर्मुखी सदा सर्व के प्यारे होते हैं। अच्छा अन्दाज भी काफी आया है मुबारक हो। यज्ञ सेवा का गोल्डन चांस मिलना यह बहुत बड़ा पुण्य जमा करने का है हर कदम यज्ञ सेवा करना अर्थात् अपना पुण्य जमा करना। तो इन 10-15 दिन में हर कदम सेवा किया तो कितने पदम बने? यज्ञ सेवा महान सेवा है। और बापदादा ने देखा है कि जो भी ज़ोन यह गोल्डन चांस लेता है वह बहुत सिक व प्यार से सेवा करते हैं। रिजल्ट वेरी गुड होती है। तो आप सबकी भी रिजल्ट अच्छी है और अच्छे ते अच्छी रहेगी। अभी यह बात याद रखना कि मैं कौन! कमल। कमल जल में रहते न्यारा रहता वैसे कोई भी समस्या या कोई भी वायुमण्डल में रहते न्यारा और प्यारा क्योकि समय तो दु:ख का है भय का है लेकिन आपके लिए सदा मन में खुशी के नगाड़े बजते रहते हैं। सदा खुश रहते हो ना! हाथ उठाओ। खुशी को नहीं छोड़ना। खुशी गई तो जीवन बेकार। नीरस जीवन अच्छी नहीं। इसलिए सदा खुश रहना है रहना है ना और खुशी बांटनी है। इतनी खुशी हो जो बांटों भी और खुश रहो भी क्योंकि बाप का ब्राह्मण बच्चा बनना अर्थात् खुशनसीब बनना खुशकिस्मत बनना। अपना खुशनसीब का टाइटिल सदा याद रखना क्योंकि बाप मिला अर्थात् सर्व प्राप्तियों का भण्डार मिला। तो कहावत है भण्डारा भरपूर सब दु:ख दूर तो क्या करेंगे! खुश ही रहेंगे ना! अच्छी सेवा भी कर रहे हो। सेवा करना अर्थात् वरदान प्राप्त करना। तो सेवा में सफलतामूर्त हैं ना! कांध हिलाओ। टीचर्स सफलतामूर्त हैं ना! कहो सफलता तो हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। बोलो। सफलता हमारे गले का हार है। अच्छा।

मेडिकल विंग:- अच्छा मेडिकल और मेडीटेशन दोनों का ग्रुप है क्योंकि डबल डाक्टर हैं ना मेडीटेशन द्वारा बाप से मिलाना और मेडिकल द्वारा दु:ख दूर करना। टैम्प्रेरी है लेकिन करते तो है ना। जैसे बाप दु:ख हर्ता है ना तो डाक्टर्स या मेडिकल डिपार्टमेंट भी थोड़े समय के लिए पेशेन्ट का दु:ख तो दूर कर देते हैं। लेकिन अभी तो आप सभी उसको मेडीटेशन सिखाके यह भी पुण्य कमाने वाले मेडिकल डिपार्टमेंट हो। सभी डबल सेवा करते हो। हाथ उठाओ जो डबल सेवा करते हैं डबल डाक्टर हैं। सिंगल डाक्टर तो बहुत हैं लेकिन आप डबल सेवाधारी डबल काम करने वाले हो। बापदादा को अच्छा लगा। इस सेवा द्वारा भी कई खुश होंगे खुशनसीब बनेंगे। बापदादा ने देखा कि यह बाम्बे की हॉस्पिटल भी बहुत सेवा के निमित्त है। आबू की तो पहले ही है लेकिन वह बीच में शहर में होने कारण ज्यादा सेवा करने का चांस है। अच्छा कर रहे हो और आगे बढ़ते रहेंगे आगे बढ़ने का चांस और वरदान दोनों है। अच्छा है। अभी नया प्लैन बनाया है ना कोई। बनाया है? अच्छा बनाते चलो परिवर्तन विश्व का करते चलो उड़ते चलो और उड़ाते चलो। अच्छा।

यूथ ग्रुप:- आजकल की गवर्मेन्ट का भी युवा के लिए बहुत उमंग है संकल्प है क्योंकि युवा की विशेषता है जो चाहेगा जो सोचेगा वह करके ही दिखाता है। युवा की डबल शक्ति है शारीरिक भी और मन की भी। युवा संगठित होके जो चाहे वह कर सकते हैं पाण्डव गवर्मेन्ट भी देख रही है कि युवा चारों ओर खास अपने स्कूल साथियों की सेवा अच्छी कर रहे हैं। बापदादा के पास युवा वर्ग की रिपोर्ट आती रहती है। अभी एडीशन यह करो कि इस वर्ष में जो भी ब्राह्मणों की मर्यादायें हैं एक एक मर्यादा को पूर्ण रीति से मन्सा से वाचा से कर्मणा से और सम्बन्ध-सम्पर्क से चारों ही रूप में पालन करने वाला हो - ऐसा ग्रुप तैयार करो इस वर्ष में कोई भी मर्यादा भंग न हो। ऐसा ग्रुप बनाओ आपस में बनाओ। जो ओटे सो अर्जुन। पसन्द है? कौन करेगा? आप करेंगे? हाथ उठाओ। करेंगे? सभी युवा करेंगे? कितने हैं? (400) आपस में ग्रुप ग्रुप में पक्का करो फिर गवर्मेन्ट को दिखायेंगे कि यह मर्यादा पुरूषोत्तम हैं। गवर्मेन्ट भी चाहती है लेकिन कर नहीं पाती है आप करके दिखाओ। एक्जैम्पुल बनके दिखाओ। होमवर्क मिल गया ना। बापदादा यही चाहते हैं कि चारों ओर के ब्राह्मण आत्मायें इस वर्ष में कमाल करके दिखायें। व्यर्थ संकल्प की धमाल भी नहीं हो। शुद्ध संकल्प इतना जमा करो जो व्यर्थ को आने का समय नहीं मिले। है ना खज़ाना। शुद्ध संकल्प का इतना खज़ाना इकठ्ठा है? है हाथ उठाओ। शक्तियां भी हैं अच्छा है शक्तियां भी एक्जैम्पुल बनें और पाण्डव भी एक्जैम्पुल बनें। अच्छा। बापदादा खुश है।

सिक्युरिटी विंग:- सिक्युरिटी वाले हैं आप भी डबल सिक्युरिटी वाले हो ना! एक तो जो हंगामा करने वाले हैं उनसे सिक्युरिटी करते हो दूसरे जो बिचारे चाहना रखते हैं कि हम सदा सुख में रहे शान्ति में रहे उनकी भी सिक्युरिटी करो उन्हों को मनमनाभव का मन्त्र देकर शिव मन्त्र देकरके कम से कम खुश रहें खुशी की सिक्युरिटी खुशी गंवायें नहीं यह सिक्युरिटी का रास्ता बताओ। तो डबल सिक्युरिटी करो तो कितनी आपको आशीर्वाद मिलेगी। दु:खी को सुखी करना गमगीन को खुश करना तो आशीर्वाद मिलेगी और ऐसा हर एक के घर को छोटा सा मन्त्र दो जो खुशी नहीं गंवाये हर घर में खुशी हो जितनी यह सेवा करेंगे तो डबल सिक्युरिटी वाले बन जायेंगे। फैलाओ। हर स्थान पर यह रेसपान्सिबिल्टी दो हैं तो सब स्थान वाले अपने देश में पहले यह सिक्युरिटी का काम करो गांव गांव बड़े बड़े स्थान खुशनुमा हो जायें। तो करेंगे? करेंगे? अच्छा।

अभी सभी सदा जो चार बातें सुनाई और पांचवा जीरो और हीरो सुनाया तो इन बातों का मनन करते हुए मग्न अवस्था में रहने वाले ब्राह्मण सो फरिश्ता आत्मायें देवता बनना तो आपका जन्म सिद्ध अधिकार है फरिश्ता सो देवता है ही तो सदा स्नेह के लव में लीन लवलीन रहने वाले सदा दृढ़ता के संकल्प की चाबी को मन में बुद्धि में स्मृति्ा में रखने वाले क्योंकि इस चाबी के पीछे माया बहुत चक्कर लगाती है। तो मन और बुद्धि से सदा समर्थ रहने वाले चारों ओर के बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।

दादियों से:-(दादी जानकी से) चक्कर लगाकर आई बहुत अच्छा। जो कर रहे हैं बहुत अच्छा। बाबा को चित्र याद आया कि जगदम्बा बीच में खड़ी है झण्डा लहरा रहे हैं और पीछे सब शक्तियां साथ में खड़ी है। तो अभी वह चित्र बापदादा विश्व के आगे दिखाना चाहता है। सारे ब्राह्मणों से शक्ति सेना ऐसी तैयार करो जो निमित्त बनें चक्कर लगाते हुए वायुमण्डल को पावरफुल बनाये और दृढ़ संकल्प करे तो हम यह दृढ़ संकल्प रखते हैं कि हम वायुमण्डल को बदलके दिखायेंगे। यह झण्डा उठायें। ऐसा ग्रुप निकालो जो चक्कर लगाके वायुमण्डल को ठीक करे अपनी स्थिति वाणी और संग से। ऐसा ग्रुप तैयार करके दिखाओ। तो बापदादा को चित्र याद आया तो यह प्रैक्टिकल होना चाहिए। ऐसे नहीं कहना समय नहीं मिलता। कोई नहीं कहेगा समय नहीं मिलता। समय मिलेगा अगर शुभ भावना है तो ऐसा ग्रुप बापदादा को बनाके देना।

परदादी से: सेवा कर रही हो मन्सा सेवा से सकाश बहुत दे रही हो। सेवा में बिजी रहती हो।

कलकत्ता वालों ने फूलों का श्रृंगार किया है:- अच्छा हमेशा करते हैं।

(डाक्टर अशोक मेहता जी और योगिनी बहन से) दोनों ने हिम्मत अच्छी रखी और समय पर पहुंचाया (दादी गुल्जार को कल बाम्बे से मधुबन लेकर आये) इसकी मुबारक हो। जो ड्युटी दी वह की।

अव्यक्त बापदादा से –

मध्यप्रदेश के राज्यपाल महामहिम बलराम जाखड़ जी मिल रहे हैं: बहुत अच्छा देखो यह भी आपका भाग्य है जो ऐसे संगठन में पहुंचे हो। अभी बापदादा यही कहते हैं कि जो इस संगठन में मेडीटेशन सिखाते हैं ना मेडीटेशन तीन घण्टे का है। तो यह जरूर करना। देखो तीन घण्टा अलग अलग देना है। अगर बिजी हो तो छुट्टी के दिन दो। अच्छा है। क्योंकि बाप के पास आये हो तो बाप सौगात तो देंगे ना। आशीर्वाद यह है कि मेडीटेशन द्वारा सदा खुश रहेंगे। खुशी कभी नहीं गंवाना। कभी भी कोई बात आवे कहो बाबा शिवबाबा। वह बात बाप को दे दो आप खुश रहो।